भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने हाल ही में अपने स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट (स्पाडेक्स) मिशन के तहत दो उपग्रहों के सफल डीकॉकिंग की घोषणा की। यह मिशन भारत की अंतरिक्ष में स्वचालित डॉकिंग तकनीक को प्रदर्शित करने के उद्देश्य से शुरू किया गया था। इसरो की इस उपलब्धि ने भारत को उन कुछ देशों की सूची में शामिल कर दिया है जिन्होंने इस जटिल प्रक्रिया को सफलतापूर्वक अंजाम दिया है।
स्पाडेक्स मिशन की पृष्ठभूमि
स्पाडेक्स मिशन का शुभारंभ 30 दिसंबर, 2024 को हुआ था। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य दो उपग्रहों को अंतरिक्ष में स्वचालित रूप से डॉक करना था। इस प्रक्रिया में उपग्रहों को एक दूसरे के साथ सटीकता से जोड़ना और उन्हें एक साथ काम करने के लिए तैयार करना शामिल है। यह प्रक्रिया अत्यंत जटिल है और इसमें कई चरणों की आवश्यकता होती है।
डीकॉकिंग प्रक्रिया
इसरो ने 12 जनवरी, 2025 को स्पाडेक्स उपग्रहों के बीच विभिन्न मैन्युवर्स का संचालन किया। इस प्रक्रिया के दौरान, उपग्रहों को 15 मीटर की दूरी पर लाया गया और फिर उन्हें 3 मीटर की दूरी पर लाने का प्रयास किया गया। इसरो ने इस प्रक्रिया को सफलतापूर्वक अंजाम दिया और उपग्रहों को सुरक्षित दूरी पर वापस ले जाया गया।
तकनीकी चुनौतियाँ
इसरो ने इस प्रक्रिया के दौरान कई तकनीकी चुनौतियों का सामना किया। उपग्रहों के बीच सही दूरी, वेग और झुकाव को प्राप्त करना अत्यंत महत्वपूर्ण था। इसरो ने इस प्रक्रिया को अत्यंत सावधानीपूर्वक अंजाम दिया और हर कदम को जमीन से मॉनिटर किया। .
भविष्य की योजनाएँ
इसरो ने इस प्रक्रिया के सफलतापूर्वक पूरा होने के बाद कहा कि वे आगे की योजनाओं पर काम कर रहे हैं। इसरो के वैज्ञानिकों ने कहा कि वे इस प्रक्रिया के डेटा का विश्लेषण करेंगे और भविष्य में और भी जटिल मिशनों को अंजाम देंगे।
इसरो की स्पाडेक्स मिशन की यह उपलब्धि भारत की अंतरिक्ष में स्वचालित डॉकिंग तकनीक को प्रदर्शित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसरो ने इस प्रक्रिया को अत्यंत सावधानीपूर्वक अंजाम दिया और कई तकनीकी चुनौतियों का सामना किया। इसरो की इस उपलब्धि ने भारत को अंतरिक्ष में स्वचालित डॉकिंग तकनीक को सफलतापूर्वक अंजाम देने वाले देशों की सूची में शामिल कर दिया है।