हाल ही में, कांग्रेस नेता राहुल गांधी की वियतनाम यात्राओं को लेकर भारतीय राजनीति में एक नया विवाद उभरा है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने गांधी की इन यात्राओं पर सवाल उठाते हुए उनके वियतनाम के प्रति ‘असाधारण लगाव’ पर स्पष्टीकरण मांगा है। वहीं, कांग्रेस ने इन आरोपों को खारिज करते हुए इसे राजनीतिकरण करार दिया है। आइए, इस मुद्दे पर विस्तार से नजर डालते हैं।
बीजेपी के आरोप:
बीजेपी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में राहुल गांधी की वियतनाम यात्राओं पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “राहुल गांधी कहां हैं। मैंने सुना है कि वह वियतनाम गए हैं।” प्रसाद ने दावा किया कि गांधी नए साल के दौरान भी वियतनाम में थे और उन्होंने वहां करीब 22 दिन बिताए थे। उन्होंने पूछा, “वह अपने निर्वाचन क्षेत्र में ज्यादा दिन नहीं बिताते। अचानक वियतनाम के प्रति उनके इतने प्रेम का क्या कारण है?” प्रसाद ने जोर देकर कहा कि गांधी नेता प्रतिपक्ष हैं और उन्हें भारत में उपलब्ध रहना चाहिए। उन्होंने कहा, “राहुल गांधी को वियतनाम के प्रति अपने असाधारण लगाव के बारे में बताना चाहिए। उस देश की उनकी बार-बार यात्रा बहुत ही कौतुहल पैदा करती है।”
बीजेपी के आईटी विभाग के प्रमुख अमित मालवीय ने भी गांधी की लगातार विदेश यात्राओं का विवरण न तो संसद में दिया जाता है और न ही सार्वजनिक किया जाता है, इस पर स्पष्टीकरण मांगा। उन्होंने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर कहा, “नेता प्रतिपक्ष के रूप में राहुल गांधी एक महत्वपूर्ण पद पर हैं और उनकी अनेक गुप्त विदेश यात्राएं – विशेषकर संसद सत्र के दौरान – औचित्य और राष्ट्रीय सुरक्षा पर गंभीर प्रश्न उठाती हैं।”
कांग्रेस का पलटवार:
कांग्रेस ने बीजेपी के इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि विदेश यात्रा करना प्रत्येक व्यक्ति का निजी अधिकार है। कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने कहा, “बीजेपी का हंगामा बिल्कुल गलत बात है, कोई जरूरी नहीं है कि हर त्योहार पर हर नेता देश में मौजूद रहे। क्या पीएम मोदी ने होली खेली। मैंने उन्हें होली खेलते कभी नहीं देखा। मैंने आरएसएस चीफ मोहन भागवत को होली खेलते नहीं देखा। राहुल गांधी पर आरोप लगाना गलत है। सभी का अपना अधिकार है। क्या भाजपा के लोग विदेश नहीं जाते हैं। राहुल गांधी को लेकर भाजपा के लोग गुमराह करते हैं। भाजपा सिर्फ गांधी परिवार को लेकर बेवजह के बयान देने का काम करती है।”
पिछले विवाद:
यह पहली बार नहीं है जब राहुल गांधी की विदेश यात्राएं विवादों में आई हैं। पिछले वर्ष 26 दिसंबर को पूर्व प्रधानमंत्री और कांग्रेस नेता मनमोहन सिंह के निधन के बाद गांधी की वियतनाम यात्रा की थी, जिसकी भाजपा ने आलोचना की थी। बीजेपी के आईटी विभाग के प्रमुख अमित मालवीय ने तब कहा था कि जब देश सिंह के निधन पर शोक मना रहा था, तब राहुल गांधी नए साल का जश्न मनाने के लिए वियतनाम गए हुए थे।
राजनीतिक दृष्टिकोण:
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि नेताओं की निजी यात्राओं को सार्वजनिक मुद्दा बनाना उचित नहीं है, जब तक कि वे राष्ट्रीय सुरक्षा या सार्वजनिक हित को प्रभावित न करें। एक लोकतांत्रिक समाज में, नेताओं के पास भी निजी जीवन का अधिकार होता है, और उनकी यात्राओं का राजनीतिकरण करने से महत्वपूर्ण मुद्दों से ध्यान भटक सकता है।
राहुल गांधी की वियतनाम यात्राओं पर उठे सवालों ने एक बार फिर से भारतीय राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू कर दिया है। जहां बीजेपी इन यात्राओं को संदिग्ध मान रही है, वहीं कांग्रेस इसे निजी अधिकार के तहत देख रही है। आवश्यक है कि राजनीतिक दल महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करें और व्यक्तिगत मामलों का राजनीतिकरण करने से बचें, ताकि लोकतंत्र की सच्ची भावना को बनाए रखा जा सके।
इस संदर्भ में, जनता को भी चाहिए कि वे नेताओं के निजी जीवन और सार्वजनिक जीवन के बीच अंतर को समझें और अपनी राय बनाते समय तथ्यों पर आधारित दृष्टिकोण अपनाएं।