महेंद्र सिंह धोनी, जिन्हें ‘कैप्टन कूल’ के नाम से जाना जाता है, अपने शांत और संयमित स्वभाव के लिए मशहूर हैं। हालांकि, 2019 के आईपीएल सीजन में एक ऐसा वाकया हुआ जिसने उनके इस छवि को चुनौती दी। छह साल बाद, धोनी ने इस घटना को अपनी ‘बड़ी गलती’ के रूप में स्वीकार किया है।
विवाद की पृष्ठभूमि
12 अप्रैल 2019 को जयपुर के सवाई मानसिंह स्टेडियम में चेन्नई सुपर किंग्स (सीएसके) और राजस्थान रॉयल्स के बीच मुकाबला चल रहा था। मैच के अंतिम ओवर में सीएसके को जीत के लिए 18 रनों की आवश्यकता थी। धोनी क्रीज पर थे, लेकिन तीसरी गेंद पर बेन स्टोक्स ने उन्हें बोल्ड कर दिया। अब जिम्मेदारी रविंद्र जडेजा और मिचेल सैंटनर पर थी।
विवादित नो-बॉल निर्णय
चौथी गेंद पर स्टोक्स ने एक फुल टॉस डिलीवरी डाली, जिसे अंपायर उल्लास गांधी ने कमर से ऊपर मानते हुए नो-बॉल करार दिया। हालांकि, स्क्वेयर लेग अंपायर ब्रूस ऑक्सेनफोर्ड ने इस निर्णय को पलट दिया, जिससे सीएसके डगआउट में असमंजस की स्थिति पैदा हो गई। धोनी, जो आमतौर पर शांत रहते हैं, इस फैसले से नाराज होकर डगआउट से मैदान में आ गए और अंपायरों से बहस करने लगे।
धोनी पर जुर्माना
अंपायरों के साथ इस बहस के बाद भी निर्णय नहीं बदला गया। हालांकि, मिचेल सैंटनर ने अंतिम गेंद पर छक्का मारकर सीएसके को जीत दिलाई। धोनी के इस आचरण के लिए उनकी मैच फीस का 50% जुर्माना लगाया गया। यह घटना धोनी के करियर के सबसे विवादास्पद पलों में से एक मानी जाती है।
छह साल बाद आत्मस्वीकृति
2025 में, एक कार्यक्रम के दौरान, धोनी ने इस घटना को याद करते हुए इसे अपनी ‘बड़ी गलती’ स्वीकार किया। उन्होंने कहा, “यह आईपीएल के एक मैच में हुआ था, जब मैं मैदान पर चला गया था। यह एक बड़ी गलती थी।” धोनी ने यह भी कहा कि गुस्से में हमें अपने मुंह बंद रखना चाहिए और कुछ देर के लिए स्थिति से दूर हो जाना चाहिए। उन्होंने गहरी सांस लेने और भावनाओं को नियंत्रित करने की सलाह दी।
धोनी का संयमित व्यक्तित्व
धोनी का क्रिकेट करियर उनके संयमित और शांत स्वभाव के लिए जाना जाता है। उन्होंने कई महत्वपूर्ण मौकों पर टीम इंडिया को अपनी सूझबूझ से जीत दिलाई है। यह घटना उनके करियर में एक अपवाद के रूप में देखी जाती है, जो यह दर्शाती है कि भावनाएं किसी पर भी हावी हो सकती हैं।
प्रशंसकों की प्रतिक्रिया
धोनी की इस आत्मस्वीकृति के बाद, प्रशंसकों ने सोशल मीडिया पर उनकी ईमानदारी की सराहना की। कईयों ने कहा कि यह धोनी की महानता को दर्शाता है कि उन्होंने अपनी गलती को सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया। कुछ ने इसे एक सीख के रूप में लिया कि कैसे हमें अपनी भावनाओं को नियंत्रित करना चाहिए।
महेंद्र सिंह धोनी का यह कदम यह सिखाता है कि महानता केवल उपलब्धियों में नहीं, बल्कि अपनी गलतियों को स्वीकार करने में भी होती है। यह घटना हमें यह याद दिलाती है कि खेल में भावनाएं प्रबल हो सकती हैं, लेकिन सच्चा खिलाड़ी वही है जो अपनी गलतियों से सीखकर आगे बढ़ता है।