पाकिस्तान में हाल के दिनों में सेना के भीतर एक चिंताजनक प्रवृत्ति देखने को मिल रही है। असुरक्षा की बढ़ती भावना, लगातार हो रही सैनिकों की मौतें और देश की बिगड़ती आर्थिक स्थिति के चलते बड़ी संख्या में सैनिक सेना छोड़ रहे हैं। विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, केवल एक सप्ताह के भीतर लगभग 2,500 सैनिकों ने अपनी नौकरियां छोड़ दी हैं। इनमें से अधिकांश सैनिक सऊदी अरब, कतर, कुवैत और संयुक्त अरब अमीरात जैसे खाड़ी देशों में श्रमिक के रूप में काम करने चले गए हैं।
असुरक्षा और विद्रोही हमलों का बढ़ता खतरा
पाकिस्तान के बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा प्रांतों में हाल के महीनों में सेना और सुरक्षाबलों पर हमलों में वृद्धि हुई है। बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) जैसे विद्रोही गुटों ने सैन्य काफिलों और प्रतिष्ठानों पर घातक हमले किए हैं। उदाहरण के लिए, हाल ही में बलूचिस्तान में एक ट्रेन को हाईजैक कर उसमें सवार सैनिकों को निशाना बनाया गया, जिसके परिणामस्वरूप कई सैनिकों की मौत हुई।
आर्थिक संकट और सेना पर प्रभाव
पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति भी गंभीर संकट में है। मुद्रास्फीति, बेरोजगारी और विदेशी ऋण के बढ़ते बोझ ने देश की अर्थव्यवस्था को कमजोर कर दिया है। इस आर्थिक संकट का प्रभाव सेना पर भी पड़ा है। फंड की कमी के चलते पाकिस्तानी सेना के पास ईंधन की कमी हो गई है, जिसके कारण इस वर्ष के अंत तक सभी सैन्य अभ्यास और युद्ध अभ्यास निलंबित कर दिए गए हैं। citeturn0search0
सैनिकों का मनोबल और पलायन
असुरक्षा और आर्थिक कठिनाइयों के बीच सैनिकों का मनोबल गिर रहा है। वे अपनी जान जोखिम में डालने के बजाय विदेशों में श्रमिक के रूप में काम करने को प्राथमिकता दे रहे हैं, जहां उन्हें आर्थिक सुरक्षा मिल सकती है। यह प्रवृत्ति सेना की क्षमता और देश की सुरक्षा पर गंभीर प्रश्न खड़े करती है।
भविष्य की चुनौतियाँ
पाकिस्तानी सेना के भीतर इस प्रकार का पलायन देश की सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है। यदि यह प्रवृत्ति जारी रहती है, तो सेना की संचालन क्षमता प्रभावित हो सकती है, जिससे आंतरिक और बाहरी सुरक्षा चुनौतियों का सामना करना मुश्किल हो जाएगा। इसके अलावा, आर्थिक संकट और राजनीतिक अस्थिरता के बीच सेना की कमजोरी देश की स्थिरता के लिए भी खतरा बन सकती है।
पाकिस्तान को वर्तमान में असुरक्षा, आर्थिक संकट और सैनिकों के पलायन जैसी गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। इन समस्याओं का समाधान करने के लिए सरकार और सेना को मिलकर ठोस कदम उठाने होंगे, ताकि देश की सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित की जा सके।