भारतीय महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए सरकार विभिन्न त्वरित लोन योजनाएँ प्रदान करती है। इन योजनाओं के माध्यम से महिलाएँ अपने व्यवसाय शुरू करने या विस्तार करने के लिए वित्तीय सहायता प्राप्त कर सकती हैं। प्रमुख योजनाएँ निम्नलिखित हैं:
1. प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (PMMY): यह योजना महिला उद्यमियों, स्व-रोज़गार पेशेवरों और छोटे व्यवसाय मालिकों को वित्तीय सहायता प्रदान करती है। योजना तीन श्रेणियों में विभाजित है:
- शिशु: ₹50,000 तक का लोन स्टार्टअप्स और सूक्ष्म व्यवसायों के लिए।
- किशोर: ₹50,000 से ₹5 लाख तक का लोन बढ़ते व्यवसायों के लिए।
- तरुण: ₹5 लाख से ₹10 लाख तक का लोन स्थापित व्यवसायों के लिए।
इन लोन के लिए कोई गारंटी की आवश्यकता नहीं होती और ब्याज दरें प्रतिस्पर्धात्मक होती हैं। महिलाएँ इस योजना के तहत सिलाई, ब्यूटी सैलून, खाद्य प्रसंस्करण इकाइयाँ या हस्तशिल्प जैसे व्यवसाय शुरू कर सकती हैं।
2. स्टैंड-अप इंडिया योजना: यह योजना अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिला उद्यमियों को विनिर्माण, व्यापार या सेवा-आधारित उद्यम स्थापित करने के लिए ₹10 लाख से ₹1 करोड़ तक का लोन प्रदान करती है। लोन की चुकौती अवधि न्यूनतम 7 वर्ष होती है, और यह कार्यशील पूंजी और टर्म लोन दोनों को कवर करता है।
3. उद्योगिनी योजना: यह योजना आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को कृषि, व्यापार और विनिर्माण क्षेत्रों में छोटे व्यवसाय शुरू करने के लिए ₹3 लाख तक का लोन प्रदान करती है। लाभार्थी की आयु 18 से 55 वर्ष के बीच होनी चाहिए और पारिवारिक वार्षिक आय ₹1.5 लाख से अधिक नहीं होनी चाहिए। विकलांग महिलाओं और विधवाओं को कुछ विशेष छूट दी जाती है।
4. महिला समृद्धि योजना (MSY): यह योजना पिछड़े वर्गों की महिला उद्यमियों को प्रति वर्ष 5% की ब्याज दर से ₹1.25 लाख तक का लोन प्रदान करती है, जिससे उन्हें सामाजिक और वित्तीय सुरक्षा मिलती है। यह योजना राष्ट्रीय अनुसूचित जाति वित्त और विकास निगम (NSFDC) द्वारा संचालित है।
5. नई स्वर्णिमा योजना: यह योजना पिछड़े वर्गों की महिला उद्यमियों को ₹2 लाख तक का लोन 5% वार्षिक ब्याज दर पर प्रदान करती है। यह सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा शुरू की गई है और राज्य चैनलाइजिंग एजेंसियों (SCA) द्वारा कार्यान्वित की जाती है।
इन योजनाओं के माध्यम से, महिलाएँ वित्तीय सहायता प्राप्त कर अपने उद्यमिता सपनों को साकार कर सकती हैं और आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ सकती हैं।