केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने टाइम्स नाउ समिट 2025 में वक्फ बोर्ड के निर्णयों की न्यायिक समीक्षा की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि वक्फ बोर्ड के फैसलों को अदालत में चुनौती दी जा सकनी चाहिए, ताकि पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित हो सके।
अमित शाह ने वक्फ अधिनियम 1995 में संशोधन की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि वर्तमान कानून में कई खामियां हैं, जिनके कारण वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन की शिकायतें आती रही हैं। उन्होंने कहा कि इन खामियों को दूर करने के लिए कानूनी सुधार आवश्यक हैं।
गृह मंत्री ने यह भी उल्लेख किया कि वक्फ बोर्ड द्वारा भूमि अधिग्रहण के मामलों में पारदर्शिता होनी चाहिए और उनके निर्णयों को न्यायालय में चुनौती देने का प्रावधान होना चाहिए। उन्होंने कहा कि इससे न केवल वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में सुधार होगा, बल्कि इससे संबंधित विवादों का न्यायिक समाधान भी संभव होगा।
अमित शाह ने विपक्षी दलों से अपील की कि वे वक्फ अधिनियम में प्रस्तावित संशोधनों का समर्थन करें, ताकि देश में सभी धार्मिक और सामाजिक संस्थाओं के लिए समान कानून और प्रावधान लागू हो सकें। उन्होंने कहा कि यह समय की मांग है कि वक्फ बोर्ड के कार्यों में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जाए, ताकि समाज के सभी वर्गों का विश्वास बना रहे।
समिट में उपस्थित विशेषज्ञों और गणमान्य व्यक्तियों ने गृह मंत्री की इन बातों का समर्थन किया और वक्फ अधिनियम में आवश्यक संशोधनों की आवश्यकता पर सहमति व्यक्त की। उन्होंने कहा कि इससे न केवल वक्फ संपत्तियों का सही प्रबंधन संभव होगा, बल्कि इससे जुड़े विवादों का भी त्वरित और न्यायसंगत समाधान हो सकेगा।