भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण प्रगति करते हुए, एक भारतीय स्टार्टअप ने सैटेलाइटों को ऊर्जा प्रदान करने के लिए कोल्ड फ्यूजन तकनीक विकसित की है। यह तकनीक सैटेलाइटों की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने में क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है।
कोल्ड फ्यूजन, जिसे निम्न-ऊर्जा नाभिकीय प्रतिक्रिया (LENR) के रूप में भी जाना जाता है, एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें कम तापमान पर नाभिकीय संलयन होता है, जिससे ऊर्जा उत्पन्न होती है। यह पारंपरिक नाभिकीय संलयन की तुलना में अधिक सुरक्षित और कम लागत वाली ऊर्जा प्रदान कर सकती है।
इस स्टार्टअप ने इस तकनीक का उपयोग करके एक प्रोटोटाइप विकसित किया है, जो सैटेलाइटों को आवश्यक ऊर्जा प्रदान करने में सक्षम है। इससे सैटेलाइटों की कार्यक्षमता और जीवनकाल में वृद्धि होने की संभावना है, क्योंकि यह तकनीक उन्हें सौर पैनलों पर निर्भरता से मुक्त कर सकती है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह तकनीक व्यावसायिक स्तर पर सफल होती है, तो यह अंतरिक्ष मिशनों की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के तरीके में एक महत्वपूर्ण बदलाव ला सकती है। इसके अलावा, यह तकनीक अन्य क्षेत्रों में भी ऊर्जा समाधान प्रदान करने में सहायक हो सकती है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और अन्य संबंधित संस्थान इस विकास पर करीबी नजर रख रहे हैं और इसके संभावित अनुप्रयोगों का मूल्यांकन कर रहे हैं। यदि यह तकनीक सफल होती है, तो यह भारत को अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक नई ऊंचाई पर पहुंचा सकती है।