18 मई 2025 को, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अपने 101वें मिशन, PSLV-C61 के माध्यम से EOS-09 उपग्रह को लॉन्च करने का प्रयास किया। हालांकि, तीसरे चरण में तकनीकी समस्या के कारण यह मिशन सफल नहीं हो सका । ISRO के अध्यक्ष वी. नारायणन ने इसे एजेंसी के उत्कृष्ट रिकॉर्ड में एक अपवाद बताया और भविष्य की योजनाओं पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ने का आश्वासन दिया ।
इस असफलता के बावजूद, ISRO अपने महत्वाकांक्षी लक्ष्यों की ओर अग्रसर है। एजेंसी ने हाल ही में भारत के पहले अंतरिक्ष स्टेशन, भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (Bharatiya Antariksh Station), के डिजाइन को अंतिम रूप दिया है। यह स्टेशन 50 टन से अधिक वजन का होगा और 400-450 किमी की कक्षा में परिक्रमा करेगा । इसका उद्देश्य वैज्ञानिक प्रयोगों के लिए एक स्थायी मंच प्रदान करना है, जो भारत की अंतरिक्ष अनुसंधान क्षमता को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा।
ISRO की भविष्य की योजनाओं में गगनयान मानव अंतरिक्ष मिशन और चंद्रयान-4 तथा चंद्रयान-5 जैसे चंद्र मिशन शामिल हैं। चंद्रयान-5, जापान के सहयोग से, 6,400 किलोग्राम के लैंडर और 350 किलोग्राम के रोवर के साथ लॉन्च किया जाएगा, जिसका उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर 100 दिनों तक संचालन करना है ।
इसके अतिरिक्त, ISRO ने दिसंबर 2024 में अपने पहले अंतरिक्ष डॉकिंग मिशन, SpaDeX, को सफलतापूर्वक लॉन्च किया। इस मिशन में दो छोटे उपग्रहों ने कक्षा में मिलकर डॉकिंग की प्रक्रिया को अंजाम दिया, जिससे भारत इस तकनीक में महारत हासिल करने वाले देशों की सूची में शामिल हो गया ।
ISRO के पास वर्तमान में 57 उपग्रह कक्षा में सक्रिय हैं, जो मौसम पूर्वानुमान, टेली-शिक्षा और दूरदराज के क्षेत्रों में संचार जैसी सेवाएं प्रदान कर रहे हैं । इन सेवाओं के माध्यम से, एजेंसी देश के सामाजिक और आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
हालांकि PSLV-C61 मिशन की असफलता एक चुनौती थी, लेकिन ISRO ने अपने दृढ़ संकल्प और नवाचार के माध्यम से यह स्पष्ट कर दिया है कि वह भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार है। भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम निरंतर प्रगति की ओर अग्रसर है, और आने वाले वर्षों में यह और भी बड़ी उपलब्धियां हासिल करेगा।
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