एलन मस्क की कंपनी स्टारलिंक भारत में सैटेलाइट आधारित इंटरनेट सेवा शुरू करने की तैयारी में है। कंपनी ने रिलायंस जियो और भारती एयरटेल जैसी प्रमुख टेलीकॉम कंपनियों के साथ साझेदारी की है। हालांकि, लाइसेंस की अवधि को लेकर कुछ चुनौतियाँ सामने आ रही हैं, जो इस सेवा की शुरुआत में बाधा बन सकती हैं।
लाइसेंस अवधि पर विवाद
स्टारलिंक ने भारत में 20 साल की लाइसेंस अवधि की मांग की है, ताकि वह लंबी अवधि की योजना बनाकर सस्ती सेवाएँ प्रदान कर सके। दूसरी ओर, रिलायंस जियो और भारती एयरटेल ने 3 से 5 साल की लाइसेंस अवधि का सुझाव दिया है। भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (TRAI) का भी मानना है कि पहले 5 साल के लिए लाइसेंस दिया जाए, जिससे बाजार की मांग और सेवा की स्थिरता का मूल्यांकन किया जा सके। citeturn0news12
स्पेक्ट्रम आवंटन की प्रक्रिया
भारत सरकार सैटेलाइट स्पेक्ट्रम को नीलामी के बजाय सीधे आवंटित करने की योजना बना रही है, जो एलन मस्क की पसंद के अनुरूप है। हालांकि, स्टारलिंक का लाइसेंस अभी भी समीक्षा के अधीन है। TRAI स्पेक्ट्रम की कीमत और लाइसेंस की अवधि तय करने पर काम कर रही है, और अपनी सिफारिशें दूरसंचार मंत्रालय को एक महीने के भीतर सौंपेगी। citeturn0news12
सुरक्षा संबंधित चिंताएँ
स्टारलिंक को भारत में संचालन के लिए सुरक्षा मंजूरी प्राप्त करनी होगी, जिसमें डेटा को स्थानीय स्तर पर प्रोसेस और स्टोर करना शामिल है। इसके अलावा, सैटेलाइट सिग्नल्स की सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी। पिछले कुछ महीनों में, भारत में स्टारलिंक उपकरणों की जब्ती के मामले सामने आए हैं, जो सुरक्षा चिंताओं को बढ़ाते हैं। उदाहरण के लिए, मणिपुर में एक खोज अभियान के दौरान एक उपकरण जब्त किया गया था, जिसे एक उग्रवादी समूह द्वारा उपयोग किया जा रहा था।
भारत में इंटरनेट की पहुँच और संभावनाएँ
भारत में लगभग 40% आबादी के पास अभी भी इंटरनेट की पहुँच नहीं है, विशेष रूप से दूरस्थ और पहाड़ी क्षेत्रों में। स्टारलिंक की सैटेलाइट इंटरनेट सेवा इन क्षेत्रों में हाई-स्पीड इंटरनेट प्रदान करने में सहायक हो सकती है, जिससे डिजिटल डिवाइड को कम किया जा सके। रिलायंस जियो और भारती एयरटेल के साथ स्टारलिंक की साझेदारी से इन दूरस्थ क्षेत्रों में इंटरनेट सेवाओं का विस्तार संभव हो सकेगा।
स्टारलिंक की भारत में प्रवेश की योजना कई चुनौतियों का सामना कर रही है, जिसमें लाइसेंस अवधि, स्पेक्ट्रम आवंटन प्रक्रिया और सुरक्षा संबंधित मुद्दे शामिल हैं। इन चुनौतियों का समाधान करने के लिए कंपनी को भारतीय नियामक प्राधिकरणों के साथ मिलकर काम करना होगा। यदि ये मुद्दे सुलझ जाते हैं, तो स्टारलिंक की सेवा भारत में इंटरनेट की पहुँच बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।