नासा के पर्सेवरेंस रोवर ने हाल ही में मंगल ग्रह पर एक अद्वितीय चट्टान की खोज की है, जो सैकड़ों मकड़ी के अंडों जैसी दिखती है। इस चट्टान का नाम ‘सेंट पॉल्स बे’ रखा गया है, और यह जेज़ेरो क्रेटर के ‘विच हेज़ल हिल’ की ढलानों पर पाई गई है। यह चट्टान अपनी मूल स्थान से हटकर यहाँ पहुँची है, जिससे इसकी उत्पत्ति और विशेष बनावट वैज्ञानिकों के लिए एक रहस्य बनी हुई है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि यह चट्टान संभवतः किसी उल्कापिंड के टकराव के परिणामस्वरूप बनी हो सकती है, जिससे चट्टानें वाष्पीकृत होकर छोटे-छोटे दानों में संघनित हो गई हों। एक अन्य संभावना यह है कि यह चट्टान पहाड़ी से नीचे लुढ़ककर यहाँ तक पहुँची हो। इन संभावनाओं की जांच से मंगल ग्रह की भूवैज्ञानिक इतिहास, जैसे प्राचीन ज्वालामुखीय गतिविधि या भूजल की उपस्थिति, के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिल सकती है।
इसके अलावा, मंगल ग्रह पर ‘स्पाइडर’ जैसी संरचनाएँ पहले भी देखी गई हैं, जिन्हें ‘अरानेइफॉर्म टेरेन’ कहा जाता है। ये संरचनाएँ तब बनती हैं जब सर्दियों में कार्बन डाइऑक्साइड की बर्फ सतह पर जम जाती है और वसंत में सूर्य के प्रकाश से गर्म होकर गैस में बदल जाती है। यह गैस दबाव बनाकर बर्फ को तोड़ती है और धूल एवं रेत को सतह पर बिखेरती है, जिससे मकड़ी जैसी आकृतियाँ बनती हैं। नासा के वैज्ञानिकों ने प्रयोगशाला में इन प्रक्रियाओं को पुनः निर्मित करके इस रहस्य को सुलझाने में सफलता प्राप्त की है।
इन खोजों से मंगल ग्रह की सतह पर होने वाली प्रक्रियाओं और वहाँ के पर्यावरण के बारे में हमारी समझ में वृद्धि होती है, जो भविष्य में इस ग्रह पर जीवन की संभावनाओं की खोज में सहायक हो सकती है।