भारत और चीन के बीच सीमा विवाद कोई नई बात नहीं है, लेकिन अब यह तनाव केवल ज़मीन तक सीमित नहीं रह गया है। हाल ही में चीन द्वारा ब्रह्मपुत्र नदी (जिसे तिब्बत में यारलुंग त्सांगपो कहा जाता है) से संबंधित जल प्रवाह और वर्षा डेटा भारत के साथ साझा न करने की खबरों ने एक नई चिंता को जन्म दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह मुद्दा भविष्य में भारत-चीन संबंधों में एक नया और गंभीर मोड़ ला सकता है।
ब्रह्मपुत्र: जीवनरेखा और रणनीतिक संसाधन
ब्रह्मपुत्र नदी भारत के पूर्वोत्तर राज्यों, विशेष रूप से अरुणाचल प्रदेश और असम के लिए जीवनरेखा है। यह नदी तिब्बत से निकलकर भारत और फिर बांग्लादेश में प्रवेश करती है। इसके जल प्रवाह पर किसी भी प्रकार का नियंत्रण या जानकारी की कमी सीधे तौर पर भारत के करोड़ों लोगों के जीवन और कृषि पर असर डाल सकती है।
चीन की रणनीति: जल को हथियार बनाना?
चीन ने पिछले कुछ वर्षों में तिब्बत क्षेत्र में ब्रह्मपुत्र पर कई बांध बनाए हैं और कुछ निर्माणाधीन हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि चीन इस नदी के जल को रणनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल कर सकता है। यदि वह भारत को समय पर जल प्रवाह की जानकारी नहीं देता, तो बाढ़ या सूखे जैसी आपदाओं से निपटना मुश्किल हो सकता है।
भारत की चिंता और कूटनीतिक प्रयास
भारत ने कई बार चीन से अनुरोध किया है कि वह मानसून के दौरान जल प्रवाह और वर्षा से संबंधित डेटा साझा करे, ताकि पूर्वोत्तर राज्यों में बाढ़ की स्थिति से समय रहते निपटा जा सके। हालांकि, चीन ने कई बार तकनीकी कारणों या सीमा विवादों का हवाला देकर डेटा साझा करने से इनकार किया है।
क्या यह अगला सीमा विवाद बन सकता है?
विशेषज्ञों का मानना है कि जल संसाधनों को लेकर यह तनाव भविष्य में एक बड़े सीमा विवाद का कारण बन सकता है। भारत के लिए यह केवल एक पर्यावरणीय या मानवीय मुद्दा नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा का विषय भी बनता जा रहा है। यदि चीन जल प्रवाह को नियंत्रित करता है या जानकारी रोकता है, तो यह भारत के लिए रणनीतिक रूप से खतरनाक हो सकता है।
ब्रह्मपुत्र नदी पर चीन की चुप्पी केवल एक पर्यावरणीय चिंता नहीं, बल्कि एक संभावित भू-राजनीतिक संकट का संकेत है। भारत को इस मुद्दे पर न केवल कूटनीतिक स्तर पर सक्रिय रहना होगा, बल्कि जल प्रबंधन और आपदा पूर्वानुमान प्रणाली को भी और मज़बूत करना होगा। आने वाले वर्षों में यह मुद्दा भारत-चीन संबंधों की दिशा तय कर सकता है।