जीवन में सफलता की परिभाषा हर व्यक्ति के लिए अलग होती है। कुछ लोग समाज में योगदान देकर संतोष पाते हैं, जबकि कुछ आत्म-खोज की राह पर चलकर। ऐसी ही दो प्रेरणादायक कहानियाँ हैं जोनास मासेट्टी और अभय सिंह की, जिन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद अपने-अपने मार्ग चुने।
जोनास मासेट्टी: ब्राज़ील से भारत तक का सफर
ब्राज़ील के जोनास मासेट्टी ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद भारत की आध्यात्मिकता की ओर रुख किया। उन्होंने वेदांत और योग का अध्ययन किया और ब्राज़ील में ‘विवेकानंद इंस्टीट्यूट’ की स्थापना की, जहाँ वे भारतीय दर्शन और योग सिखाते हैं। उनके इस योगदान के लिए भारत सरकार ने उन्हें पद्म श्री से सम्मानित किया, जो उनके समर्पण और सेवा की पहचान है।
अभय सिंह: IIT से संन्यास तक की यात्रा
हरियाणा के अभय सिंह ने IIT बॉम्बे से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और कनाडा में उच्च वेतन वाली नौकरी प्राप्त की। हालांकि, उन्होंने फोटोग्राफी और अध्यात्म में रुचि के चलते यह नौकरी छोड़ दी। प्रयागराज के महाकुंभ में ‘IIT बाबा’ के नाम से प्रसिद्ध हुए अभय सिंह की जीवन यात्रा में कई उतार-चढ़ाव आए। जूना अखाड़े से निष्कासन और विवादों के बावजूद, उन्होंने आत्म-खोज की राह नहीं छोड़ी।
जोनास मासेट्टी और अभय सिंह की कहानियाँ हमें यह सिखाती हैं कि जीवन में सच्ची सफलता बाहरी उपलब्धियों में नहीं, बल्कि आंतरिक संतोष और आत्म-खोज में है। इनकी यात्राएँ प्रेरणा देती हैं कि हम भी अपने जीवन के उद्देश्य को पहचानें और उसके अनुसार मार्ग चुनें।