भारत अब सैन्य शक्ति के उस मुकाम पर पहुँच चुका है, जहाँ उसकी क्षमता केवल पड़ोसी देशों तक सीमित नहीं रह गई है। हाल ही में जो खबर सामने आई है, वह न केवल भारत की रक्षा रणनीति को वैश्विक स्तर पर एक नई ऊँचाई देती है, बल्कि विरोधी देशों के लिए भी एक स्पष्ट संदेश बन जाती है।
भारत एक ऐसा स्टील्थ बॉम्बर विकसित कर रहा है जिसकी रेंज 12,000 किलोमीटर होगी — यानी यह विमान बिना किसी रीफ्यूलिंग के न्यूयॉर्क तक मार कर सकेगा। और इससे भी बड़ी बात यह है कि यह बॉम्बर ब्रह्मोस मिसाइलों से लैस होगा। यानी भारत के पास वह शक्ति होगी, जो बिना सीमा पार किए ही अपने दुश्मनों को सटीक और घातक वार से जवाब दे सके।
यह परियोजना भारतीय वायुसेना और रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित की जा रही है। भारत लंबे समय से ऐसे एक लॉन्ग रेंज स्ट्रैटेजिक बॉम्बर की तलाश में था, जो पारंपरिक और परमाणु दोनों प्रकार के हथियार ले जाने में सक्षम हो। अब जब यह सपना वास्तविकता बनता नजर आ रहा है, तो यह भारत की वैश्विक सामरिक स्थिति को पूरी तरह बदल सकता है।
इस बॉम्बर की सबसे बड़ी ताकत इसकी स्टील्थ तकनीक होगी। इसका मतलब है कि यह रडार से बचकर उड़ान भर सकेगा, यानी दुश्मन को इसका पता तब चलेगा जब हमला हो चुका होगा। इसके साथ-साथ ब्रह्मोस जैसी सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों से लैस होने का मतलब है कि यह बॉम्बर किसी भी लक्ष्य को बिना चेतावनी के नेस्तनाबूद कर सकता है।
एक और बड़ी बात है कि भारत अब रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर तेजी से बढ़ रहा है। इस बॉम्बर के विकास में विदेशी तकनीक पर निर्भरता न्यूनतम होगी। यह आत्मनिर्भर भारत के “मेक इन इंडिया” विजन को एक मजबूत आधार देगा।
जहाँ एक ओर अमेरिका और रूस जैसे देश पहले से ही लॉन्ग रेंज बॉम्बर्स के मालिक हैं, वहीं भारत अब उस क्लब का हिस्सा बनने जा रहा है जो अपनी सुरक्षा नीति को केवल रक्षात्मक नहीं, बल्कि आक्रामक संतुलन के रूप में विकसित कर रहा है।
यह बॉम्बर न केवल भारत की सैन्य ताकत को कई गुना बढ़ा देगा, बल्कि यह एक रणनीतिक संदेश भी होगा कि भारत अब केवल एशिया तक सीमित नहीं है। उसकी पहुंच अब वैश्विक है, और दुश्मन देश चाहे जितनी भी दूरी पर हों, भारत की निगाह और वार दोनों वहाँ तक पहुँचने में सक्षम हैं।