भारत का तेजस, सिर्फ एक लड़ाकू विमान नहीं; यह तकनीकी उत्कर्ष, स्वदेशी आत्मनिर्भरता और सामरिक श्रेष्ठता का प्रतीक बन चुका है। छोटे और हल्के आकार में ये विमान अद्वितीय है—यह वर्तमान में सुपरसोनिक फाइटर जेट्स में सबसे छोटा और हल्का माना जाता है
तेजस Mk 1A संस्करण आधुनिक एईएसए राडार, उन्नत इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणालियाँ, और तेज पुनः लोडिंग क्षमता से लैस है, जो इसे इसी श्रेणी में सबसे विकसित विमान बनाते हैं । यह अमेरिकी F-16, पाकिस्तानी JF-17 जैसे समकक्ष विमानों से आकार, वजन और प्रदर्शन में तुलनात्मक रूप से बेहतर है ।
स्वदेशी टेक्नोलॉजी का तेजस में योगदान अद्वितीय है—डिजिटल फ्लाइट कंट्रोल, कंपोज़िट स्ट्रक्चर, ग्लास कॉकपिट जैसी उन्नत तकनीकों ने इसे सिर्फ MiG-21 का प्रतिस्थापन ही नहीं, बल्कि एक आधुनिक मल्टीरोल प्लेटफॉर्म में तब्दील कर दिया है ।
हालांकि, तेजस कार्यक्रम को कई देरी और तकनीकी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। बावजूद इसके, Mk2 वर्ज़न पर काम जारी है, जिसमें अधिक शक्तिशाली इंजन, बेहतर एवियोनिक्स, और बहुलविषयक क्षमताएँ शामिल होंगी—ये इसे “मीडियम वेट फाइटर” की श्रेणी में ले जाएगा।
पूर्व LCA प्रमुख Kota Harinarayana का कहना है कि भारत आने वाले वर्षों में fighter jet निर्माण में आत्मनिर्भर बनेगा और वैश्विक मित्र देशों को निर्यात भी करेगा ।
लेकिन चुनौतियाँ भी कम नहीं—कार्यक्रम की धीमी गति, नौकरशाही बाधाएँ, और इंजिन आत्मनिर्भरता की कमी जैसी समस्याएँ अभी भी मोर्चे पर हैं। इनमें सुधार ही तेजस को वैश्विक मंच पर उठान दिलाएगा।
तेजस केवल एक विमान नहीं—यह भारतीय आत्मनिर्भरता, तकनीकी नवाचार और रणनीतिक सोच का विमोचन है। जैसे ही Mk 2 वर्ज़न ऊँचाई पर पहुंचेगा, यह भारतीय वायुसेना की शक्ति और प्रतिष्ठा को और भी उच्च स्तर पर पहुँचा देगा।