2025 की उस गर्मियों में जब भारतीय सिनेमाघरों में कई बड़े प्रोजेक्टों की भिड़ंत हो रही थी, वहीं एक एनिमेटेड एपीक फ़िल्म ने चुपके से पूरी दुनिया में तहलका मचा दिया – ‘महावतार नरसिंह’। लेखक–निर्देशक अश्विन कुमार की यह डायरेक्टोरियल डेब्यू न केवल ओटीटी के युग में बड़ी हिट बन गई, बल्कि इसकी आत्मिक गहराई और सार्वभौमिक संदेश ने दर्शकों को अंदर से झकझोर दिया।
निर्माण में यह महज एक एनिमेशन नहीं, बल्कि एक अंतर-धार्मिक आस्था की कहानी साबित हुई। अश्विन कुमार ने NDTV से कहा, “यह कोई धार्मिक फिल्म नहीं है, बल्कि एक interreligious faith फिल्म है। क्योंकि प्रेम एक सार्वभौमिक भावना है, और आस्था भी।” इससे साफ है कि उनका मकसद किसी भी धर्म को बढ़ावा देना नहीं, बल्कि हर दर्शक को उसकी अपनी आस्था को महसूस करने में मदद करना था।
दिलचस्प बात यह है कि कई मुस्लिम दर्शक सीधे फिल्म टीम से मिलने आए और उन्होंने बताया कि यह फ़िल्म उनकी आस्था को और सशक्त कर गई, न कि बदलने की प्रेरणा दी । जब निर्देशक कहते हैं “मैं यह नहीं कह रहा कि धर्म बदल लो… फ़िल्म बस आपसे यही कहती है कि अपनी आस्था को समझो और उस पर भरोसा रखो” – तो वह सचमुच हर धर्म के दिल को छू रहा है ।
फिल्म की तकनीकी पूरी है – शानदार एनिमेशन, गजब का विज़ुअल इफेक्ट, भयावह क्लाइमेक्स। फिर भी, इसका असली आकर्षण है मानवीय भावना और आस्था की गहराई, जो किसी भी धर्म या जाति की दीवार को पार कर जाती है।
बॉक्स ऑफ़िस पर तो इसने रिकॉर्ड तोड़ दिया – ₹175 करोड़ 15 दिनों में, और बन गई भारत की अब तक की सबसे ज़्यादा कमाई करने वाली एनिमेटेड फिल्म । यह उस फिल्म का रिकॉर्ड है जो सिर्फ बच्चों के लिए नहीं, बल्कि परिवार और वयस्कों के लिए भी बनी थी।
इस तरह, ‘महावतार नरसिंह’ एक दृढ़ मान्यता, प्रेम और आत्मिक समरसता की आवाज बनकर उभरी। यह साबित करता है कि जब कहानी में हल्के रंगों से परे की मानवता हो, तो हर दिल तक पहुंचना संभव है।




