वैश्विक भू-राजनीति में एक नया मोड़ तब आया जब रूस ने अमेरिका और अन्य क्वाड (QUAD) देशों पर भारत को केवल व्यापारिक साझेदार नहीं, बल्कि एक सैन्य सहयोगी के रूप में ढालने की कोशिश करने का आरोप लगाया। यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारत अपनी स्वतंत्र विदेश नीति और रणनीतिक संतुलन को लेकर वैश्विक मंच पर एक निर्णायक भूमिका निभा रहा है।
क्या है मामला?
रूस के विदेश मंत्रालय से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने हाल ही में कहा कि अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया जैसे क्वाड सदस्य देश भारत को एक सैन्य गठबंधन में शामिल करने की दिशा में काम कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह प्रयास भारत की पारंपरिक गुटनिरपेक्ष नीति और स्वतंत्र रणनीतिक सोच के खिलाफ है।
भारत की स्थिति: संतुलन और स्वतंत्रता
भारत ने हमेशा से अपनी विदेश नीति में संतुलन बनाए रखा है। चाहे वह रूस के साथ दशकों पुराना रक्षा सहयोग हो या अमेरिका और पश्चिमी देशों के साथ बढ़ती रणनीतिक साझेदारी—भारत ने कभी किसी एक ध्रुव की ओर झुकाव नहीं दिखाया। QUAD में भारत की भागीदारी भी मुख्यतः इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में आर्थिक, तकनीकी और समुद्री सुरक्षा सहयोग तक सीमित रही है, न कि किसी सैन्य गठबंधन तक।
रूस की चिंता: भारत-पश्चिम समीकरण
रूस की यह प्रतिक्रिया इस बात का संकेत हो सकती है कि वह भारत और पश्चिमी देशों के बीच बढ़ती नजदीकियों को लेकर चिंतित है। खासकर यूक्रेन युद्ध के बाद रूस की वैश्विक स्थिति में आए बदलाव और पश्चिमी प्रतिबंधों के चलते, भारत जैसे रणनीतिक साझेदार की भूमिका रूस के लिए और भी महत्वपूर्ण हो गई है।
भारत की रणनीति: ‘मल्टी-अलाइनमेंट’ बनाम ‘एलायंस’
भारत की विदेश नीति अब ‘गुटनिरपेक्षता’ से आगे बढ़कर ‘मल्टी-अलाइनमेंट’ की ओर बढ़ रही है—जहाँ वह विभिन्न देशों के साथ अपने हितों के अनुसार सहयोग करता है, लेकिन किसी सैन्य गठबंधन का हिस्सा नहीं बनता। यही कारण है कि भारत ने NATO जैसे संगठनों से दूरी बनाए रखी है और QUAD को भी एक “गैर-सैन्य मंच” के रूप में प्रस्तुत किया है।
रूस का यह बयान भारत की विदेश नीति के लिए एक चुनौती और अवसर दोनों है। एक ओर भारत को अपने पुराने रणनीतिक साझेदार रूस को आश्वस्त करना होगा, वहीं दूसरी ओर उसे QUAD जैसे मंचों पर अपनी भूमिका को स्पष्ट और संतुलित बनाए रखना होगा। भारत की ताकत उसकी स्वतंत्र सोच और संतुलित कूटनीति में है—और यही उसे वैश्विक मंच पर एक विश्वसनीय शक्ति बनाती है।