आज के दौर में जब वैश्विक कूटनीति सिर्फ सीमाओं तक सीमित नहीं रही, मीडिया भी एक बड़ा हथियार बन चुका है। रूस की सरकारी मीडिया RT (Russia Today) की हालिया रिपोर्टिंग ने एक बार फिर इस बात को साबित कर दिया है। खासतौर पर जब बात भारत की रक्षा तैयारियों और फ्रांस से खरीदे गए राफेल (Rafale) लड़ाकू विमानों की आती है, तब इस मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निगाहें टिक जाती हैं।
RT ने हाल ही में एक रिपोर्ट पब्लिश की जिसमें भारतीय राफेल डील को लेकर पाकिस्तान की प्रचार-नीति को amplify किया गया है। पाकिस्तान लंबे समय से इस डील पर सवाल उठाता रहा है, लेकिन अब जब रूस की एक प्रमुख सरकारी मीडिया इसे हवा दे रही है, तो सवाल उठता है — क्या रूस भारत पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहा है?
RT की रिपोर्ट: प्रचार या कूटनीतिक चाल?
RT ने भारतीय वायुसेना के राफेल जेट्स की क्षमता पर सवाल उठाते हुए ऐसे विश्लेषकों के हवाले से रिपोर्ट चलाई जो पाकिस्तान के पक्ष में झुके हुए नजर आते हैं। रिपोर्ट में बताया गया कि कैसे राफेल पाकिस्तानी JF-17 ब्लॉक-3 या चीन के आधुनिक लड़ाकू विमानों के मुकाबले ‘overrated’ है।
अब सवाल यह है कि RT को अचानक भारतीय डिफेंस डील में इतनी दिलचस्पी क्यों हो गई? इसका जवाब छिपा है रूस की एक बड़ी रणनीति में।
Su-57: रूस का अगला दांव
रूस पिछले कई वर्षों से अपने 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान Su-57 को भारत को बेचने की कोशिश कर रहा है। लेकिन भारत ने अब तक इस पर कोई पुख्ता कदम नहीं उठाया है। ऐसे में RT की रिपोर्टिंग को एक तरह से भारत पर दबाव बनाने की रणनीति भी माना जा सकता है।
रूस अच्छी तरह जानता है कि भारत अभी भी अपने एयरफोर्स के बेड़े को आधुनिक बना रहा है और उसे भविष्य में और फाइटर जेट्स की जरूरत पड़ेगी। ऐसे में RT के ज़रिए राफेल की छवि को कमजोर करके, भारत को यह जताने की कोशिश की जा रही है कि Su-57 एक बेहतर विकल्प है।
भारत की सतर्कता ज़रूरी
यह समय है जब भारत को सिर्फ कूटनीतिक स्तर पर ही नहीं, बल्कि सूचना युद्ध (Information Warfare) के स्तर पर भी सतर्क रहना होगा। मीडिया के ज़रिए यदि किसी देश की डील या रक्षा रणनीति को कमजोर करने की कोशिश हो रही है, तो उसका जवाब तथ्य और ताकत से दिया जाना चाहिए।
भारत को इस मुद्दे पर फ्रांस और रूस दोनों से साफ बातचीत करनी चाहिए, ताकि भविष्य की डील्स में पारदर्शिता बनी रहे। साथ ही भारतीय मीडिया को भी चाहिए कि वह अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट्स का विश्लेषण निष्पक्ष रूप से करे और अपने पाठकों को तथ्य आधारित जानकारी दे।
RT की यह रिपोर्ट केवल एक मीडिया रिपोर्ट नहीं, बल्कि एक गहरी कूटनीतिक चाल का हिस्सा हो सकती है। भारत को अब केवल हथियार ही नहीं, मीडिया और सूचना के क्षेत्र में भी अपनी रणनीति मजबूत करनी होगी। क्यूंकि आज का युद्ध सिर्फ बॉर्डर पर नहीं, खबरों की हेडलाइन में भी लड़ा जा रहा है।