भारतीय क्रिकेट में एक बार फिर एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने बीसीसीआई को सख्त कदम उठाने के लिए मजबूर कर दिया है। मामला है महज़ 13 वर्षीय कहे जा रहे खिलाड़ी वैभव सूर्यवंशी का, जो अचानक अपनी धमाकेदार परफॉर्मेंस और कम उम्र में आईपीएल डेब्यू को लेकर सुर्खियों में आया था। लेकिन अब सवाल उठ रहे हैं – क्या वाकई वैभव सिर्फ 13 साल के हैं?
बीसीसीआई को जब इस विषय पर शिकायतें मिलीं कि कुछ खिलाड़ी अपने वास्तविक जन्म प्रमाणपत्र को छिपाकर टूर्नामेंट्स में हिस्सा ले रहे हैं, तो उन्होंने तुरंत कार्रवाई की। वैभव सूर्यवंशी का मामला इसके केंद्र में रहा। माना जा रहा है कि उनके कागज़ों में कई विरोधाभास पाए गए हैं। अब बीसीसीआई ने सभी घरेलू और जूनियर स्तर के क्रिकेट टूर्नामेंट्स में एक नई उम्र सत्यापन प्रणाली लागू करने का फैसला लिया है।
इस नई व्यवस्था के तहत अब खिलाड़ियों को AADHAAR कार्ड, शैक्षणिक प्रमाणपत्र, और स्वतंत्र मेडिकल एजेंसी द्वारा कराई गई उम्र की हड्डियों की जाँच जैसे तीन स्तरों पर अपनी उम्र साबित करनी होगी। साथ ही, झूठे दस्तावेज़ देने पर दो साल तक का प्रतिबंध भी लगाया जा सकता है।
वैभव का मामला अकेला नहीं है। भारत में क्रिकेट को करियर की तरह अपनाने वाले कई युवा खिलाड़ियों के माता-पिता उन्हें कम उम्र दिखाकर ज्यादा मौके दिलवाने की कोशिश करते हैं। यह प्रथा वर्षों से चली आ रही है और इससे कई ईमानदार और सच्चे खिलाड़ी पीछे छूट जाते हैं।
हालांकि बीसीसीआई का यह निर्णय स्वागत योग्य है। इससे न केवल प्रतियोगिता पारदर्शी होगी बल्कि खिलाड़ियों में खेल के प्रति विश्वास भी बढ़ेगा।
वैभव सूर्यवंशी के करियर पर इसका क्या असर होगा, यह तो समय बताएगा। लेकिन एक बात तय है—अब भारतीय क्रिकेट में ‘उम्र’ का खेल नहीं चलेगा, सिर्फ टैलेंट की जीत होगी।