रक्तदान को सर्वोत्तम दान माना जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक ऐसा रक्त समूह है जो अत्यंत दुर्लभ है और केवल कुछ ही लोगों में पाया जाता है? इसे ‘बॉम्बे ब्लड ग्रुप’ के नाम से जाना जाता है।
बॉम्बे ब्लड ग्रुप क्या है?
सामान्यतः हम ए, बी, एबी और ओ रक्त समूहों के बारे में जानते हैं। लेकिन बॉम्बे ब्लड ग्रुप इन सबसे अलग है। इसकी खोज 1952 में मुंबई (तत्कालीन बॉम्बे) में डॉ. वाई. एम. भेंडे ने की थी, इसलिए इसे ‘बॉम्बे ब्लड ग्रुप’ नाम दिया गया।
कितना दुर्लभ है यह रक्त समूह?
यह रक्त समूह विश्व की कुल जनसंख्या के मात्र 0.0004% लोगों में पाया जाता है। भारत में, लगभग 10,000 लोगों में से केवल एक व्यक्ति का रक्त समूह बॉम्बे होता है।
बॉम्बे ब्लड ग्रुप की विशेषताएँ
सामान्य रक्त समूहों में लाल रक्त कणिकाओं पर ए, बी या एच एंटीजन होते हैं। लेकिन बॉम्बे ब्लड ग्रुप वाले व्यक्तियों में ये एंटीजन नहीं होते। इसके बजाय, उनके प्लाज्मा में ए, बी और एच एंटीबॉडीज मौजूद होते हैं।
रक्तदान और सावधानियाँ
बॉम्बे ब्लड ग्रुप के व्यक्ति केवल उसी रक्त समूह के लोगों से रक्त प्राप्त कर सकते हैं। अन्य किसी भी रक्त समूह का रक्त चढ़ाने पर गंभीर प्रतिक्रियाएँ हो सकती हैं। इसलिए, यदि आपका रक्त समूह बॉम्बे है, तो यह महत्वपूर्ण है कि आप इसे जानें और आवश्यकता पड़ने पर उचित कदम उठाएँ।
बॉम्बे ब्लड ग्रुप के बारे में जागरूकता बढ़ाएँ
इस दुर्लभ रक्त समूह के बारे में जागरूकता फैलाना आवश्यक है ताकि आवश्यकता पड़ने पर सही समय पर सही रक्त उपलब्ध हो सके। यदि आपका रक्त समूह बॉम्बे है, तो स्थानीय रक्तदान केंद्रों में अपनी जानकारी दर्ज कराएँ ताकि आपात स्थिति में संपर्क किया जा सके।
बॉम्बे ब्लड ग्रुप एक अत्यंत दुर्लभ रक्त समूह है, जिसकी जानकारी और जागरूकता बढ़ाना समाज के लिए महत्वपूर्ण है। यदि आप इस रक्त समूह से संबंधित हैं, तो अपनी जानकारी साझा करें और दूसरों को भी इसके बारे में सूचित करें।