भारत की रक्षा क्षमताओं में हाल के वर्षों में जबरदस्त प्रगति हुई है, और इसका सबसे सशक्त प्रमाण है देश की मिसाइल प्रणाली। हाल ही में ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल और अग्नि-V इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) के सफल परीक्षणों ने न केवल भारत की सैन्य शक्ति को प्रदर्शित किया, बल्कि वैश्विक मंच पर एक स्पष्ट संदेश भी दिया।
ब्रह्मोस: सटीकता और गति का प्रतीक
ब्रह्मोस मिसाइल भारत और रूस के संयुक्त प्रयास से विकसित की गई है। यह मिसाइल ध्वनि की गति से तीन गुना तेज़ (Mach 3) उड़ान भर सकती है और 290 से 450 किलोमीटर तक के लक्ष्य को सटीकता से भेद सकती है। इसे भूमि, समुद्र और वायु—तीनों माध्यमों से लॉन्च किया जा सकता है। हाल ही में भारत ने ब्रह्मोस को फिलीपींस को निर्यात कर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है, जिससे यह भारत की रक्षा कूटनीति का भी अहम हिस्सा बन गई है।
अग्नि-V: रणनीतिक संतुलन का स्तंभ
दूसरी ओर, अग्नि-V मिसाइल भारत की रणनीतिक प्रतिरोधक क्षमता (strategic deterrence) का मुख्य आधार है। यह ICBM 5,000 से 7,000 किलोमीटर तक की दूरी पर स्थित लक्ष्यों को भेदने में सक्षम है, जिससे यह चीन और यूरोप के कई हिस्सों तक पहुँच सकती है। यह मिसाइल परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है और इसे मोबाइल लॉन्चर से दागा जा सकता है, जिससे इसकी तैनाती लचीली और अप्रत्याशित बनती है।
दो मिसाइलें, दो संदेश
ब्रह्मोस और अग्नि-V दोनों मिसाइलें अलग-अलग उद्देश्यों के लिए हैं, लेकिन इनका संयुक्त प्रभाव भारत की रक्षा नीति को मजबूती प्रदान करता है। ब्रह्मोस एक “सर्जिकल स्ट्राइक” जैसी त्वरित और सटीक कार्रवाई के लिए उपयुक्त है, जबकि अग्नि-V एक दीर्घकालिक रणनीतिक संतुलन बनाए रखने के लिए। एक तेज़ और सटीक है, तो दूसरी दूरगामी और निर्णायक।
वैश्विक संदेश
इन दोनों मिसाइलों की तैनाती और परीक्षणों से भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह न केवल अपनी सीमाओं की रक्षा करने में सक्षम है, बल्कि किसी भी प्रकार की आक्रामकता का जवाब देने के लिए पूरी तरह तैयार है। यह संदेश विशेष रूप से उन देशों के लिए है जो भारत की क्षेत्रीय अखंडता को चुनौती देने की कोशिश करते हैं।
ब्रह्मोस और अग्नि-V भारत की रक्षा रणनीति के दो मजबूत स्तंभ हैं। एक ओर जहाँ ब्रह्मोस भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता और निर्यात क्षमता का प्रतीक है, वहीं अग्नि-V भारत की रणनीतिक परिपक्वता और वैश्विक शक्ति संतुलन में उसकी भूमिका को दर्शाता है। आने वाले वर्षों में ये दोनों मिसाइलें भारत को एक सशक्त और आत्मनिर्भर रक्षा शक्ति के रूप में स्थापित करेंगी।