12 जून 2025 की दोपहर, अहमदाबाद एयरपोर्ट से उड़ान भरते ही Air India Flight 171 (Boeing 787‑8 Dreamliner) के साथ एक बड़ी त्रासदी सामने आई। 242 लोगों से भरी यह फ्लाइट मात्र 30–50 सेकंड में नियंत्रण खो बैठी और B.J. मेडिकल कॉलेज के अस्पताल हॉस्टल को टकरा गई । परिणामस्वरूप 241 यात्रियों व 24+ ग्राउंड स्टाफ की जान गई—भारत के इतिहास की सबसे भयानक विमान दुर्घटनाओं में से एक बन गई ।
लेकिन इस अंधेरे में एक किरन चमत्कार की तरह उभरी—Seat 11A, यानि सीट पर बैठे विष्वश कुमार रमेश, ब्रिटिश‑भारतीय नागरिक, एकमात्र जीवित बचे। घायल अवस्था में उन्होंने मलबे से उठकर पैदल अस्पताल पहुँचकर असंख्य दिलों को झकझोर दिया।
रमेश ने अस्पताल के पलंग पर लेटे‑लेटे बताया, “मैं उठा, चारों ओर शवों की भीड़ थी, मैं दौड़ पड़ा… किसी ने मुझे एम्बुलेंस में पहुँचाया।” उनके शब्दों में वह दहशत, दर्द और जीते रहने की अदम्य इच्छा झलकती है ।
अहमदाबाद पुलिस के अनुसार, रमेश शायद आपातकालीन निकास के पास बैठे थे और दुर्घटना के समय उसी मार्ग से बाहर कूदकर खुद को बचा सके । उनकी हिम्मत, सतर्कता और भाग्य ने लाखों लोगों को जीने की प्रेरणा दी। गृह मंत्री अमित शाह और स्थानीय प्रशासन ने उनकी हिम्मत की सराहना करते हुए अस्पताल में मिला उपचार जारी रखा।
विमान घटना का कारण अभी जांच के दायरे में है—चूक करके फ्लैप्स की त्रुटि हो सकती है, या ऊंचाई/इंजन की समस्या भी उभरकर सामने आ सकती है । बीएसएमबी, NTSB, FAA, और UK सरकार जांच में सहयोग कर रही हैं।
दुनिया के कोने‑कोने से दुख और सहानुभूति की लहर दौड़ गई। UK प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर, भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, टाटा/एयर इंडिया, और Boeing की ओर से भी शोक जताया गया ।
इस त्रासदी की एक क्षणिक रौशनी—विष्वश कुमार रमेश— की कहानी हमें बताती है कि मानव आत्मा का साहस, भाग्य की चकमक और जीवन की पीछे न हटने की दृढ़ता कभी नहीं टूटती।