भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के समय अपने स्वदेशी वायु रक्षा प्रणाली, आकाश मिसाइल सिस्टम, की ताकत का जबरदस्त प्रदर्शन किया है। पाकिस्तानी ड्रोन और मिसाइलों की भरमार को भारत की बहु-स्तरीय एयर डिफेंस ग्रिड ने न सिर्फ रोका, बल्कि इसे कुशलता से निष्क्रिय भी किया। इस घटना ने यह साबित कर दिया कि भारत की “मेक इन इंडिया” रक्षा तकनीक युद्ध की कठिन परिस्थितियों में कितना भरोसेमंद और कारगर हो सकती है।
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, भारतीय वायुसेना और भारतीय सेना ने मिलकर एक समन्वित नेटवर्क बनाया — जिसमें आकाश मिसाइल, MRSAM, S-400, और अन्य आधुनिक प्रणालियाँ शामिल थीं। विशेष रूप से आकाश मिसाइल ने निचले उच्चता (low-altitude) वाले ड्रोन और प्रतिस्पर्धी मिसाइल लक्ष्यों को बहुत ही प्रभावी ढंग से इंटरसेप्ट किया।
रक्षा सूत्रों के मुताबिक्, भारतीय सेना ने ऑपरेशन के दौरान 50 से अधिक पाकिस्तानी ड्रोन गिराए। आकाश सिस्टम की कमांड-गाइडेंस टेक्नोलॉजी और उसे नियंत्रित करने वाले रडारों की मदद से इन ड्रोन को ट्रैक कर ड्रोन हमलों को बेअसर किया गया। इसके अलावा, आकाश की उन्नत क्षमताओं ने यह दिखाया है कि यह सिर्फ “ड्रोन शील्ड” नहीं, बल्कि एक बहु-खतरा इंटरसेप्टर है जो मिसाइलों और उच्च गतिशीलता वाले हवाई लक्ष्यों को भी संभाल सकता है।
यह सफलता सिर्फ उसी रात तक सीमित नहीं रही — ऑपरेशन सिंदूर के बाद, भारत ने अपने आकाश मिसाइल उत्पादन को तेज़ी से बढ़ाना शुरू कर दिया है। भारत की प्रमुख निर्माता कंपनियाँ जैसे भारत डायनामिक्स लिमिटेड (BDL), BEL, और अन्य उद्योग भागीदार मिलकर उत्पादन क्षमताओं का विस्तार कर रही हैं। यह कदम न सिर्फ भविष्य में भारत की वायु रक्षा तैयारियों को मजबूत करेगा, बल्कि निर्यात संभावनाओं को भी बढ़ाएगा।
विशेष रूप से आकाश-1S और आकाश-NG जैसे उन्नत वेरिएंट्स पर ध्यान दिया जा रहा है: आकाश-1S में देशी AESA सीकर है, जिससे छोटे और लो-रडार लक्ष्यों को और बेहतर ट्रैक किया जा सके। जबकि NG वर्जन में रेंज और गति में सुधार किया गया है। इन उन्नत मिसाइलों को भविष्य में और अधिक स्क्वाड्रन्स और रेजिमेंट्स में तैनात किया जाना है।
ऑपरेशन सिंदूर में आकाश की भूमिका ने यह भी दिखाया कि भारत अपनी एयर डिफेंस नेटवर्क को “लेयर्ड गार्ड” (बहु-स्तरीय सुरक्षा) के रूप में विकसित कर रहा है। मसलन, निचली परत में आकाश, मध्य रेंज में MRSAM, और लंबी दूरी पर S-400 जैसी प्रणाली एक साझा कमांड और नियंत्रण के अंतर्गत काम करती हैं। इस तरह का समन्वय न सिर्फ उच्चतम सुरक्षा प्रदान करता है, बल्कि यह युद्ध के दबाव में भी अधिक स्थिरता, लचीलापन और तीव्र प्रतिक्रिया सुनिश्चित करता है।
इस पूरे परिदृश्य का एक और बड़ा मतलब है — आत्मनिर्भरता। भारत न सिर्फ आयातित रक्षा तकनीक पर निर्भरता कम कर रहा है, बल्कि अपनी घरेलू रक्षा उत्पादन क्षमता को उच्च स्तर पर ला रहा है। आकाश मिसाइल की बढ़ती उत्पादन क्षमता और सफल ऑपरेशन-सिद्धता से यह बात और स्पष्ट हो जाती है कि भारत भविष्य में अपने हवाई क्षेत्र की सुरक्षा के लिए विश्वसनीय और स्वाभिमानी विकल्प तैयार कर रहा है।
संक्षेप में कहा जाए तो, ऑपरेशन सिंदूर में आकाश मिसाइल ने भारत के रक्षा दायित्वों को एक नयी ऊँचाई दी है। यह सिर्फ एक मिसाइल सिस्टम नहीं है, बल्कि भारत की प्रगति, आत्मविश्वास और रणनीतिक आत्मनिर्भरता की मिसाल बन गया है।

