भारत सरकार ने वर्ष 2047 तक देश को एक विकसित राष्ट्र बनाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किया है। इस दिशा में नीति आयोग और अन्य सरकारी थिंक टैंक लगातार रणनीतियाँ बना रहे हैं। हाल ही में सामने आई एक रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया गया है कि यदि भारत को यह लक्ष्य हासिल करना है, तो कुछ विशेष क्षेत्रों को अपनी जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में अधिक योगदान देना होगा।
2047 का सपना: केवल नारा नहीं, रणनीति है
‘विकसित भारत 2047’ केवल एक राजनीतिक नारा नहीं, बल्कि एक दीर्घकालिक रणनीतिक योजना है, जिसका उद्देश्य है—उच्च जीवन स्तर, समावेशी विकास, तकनीकी आत्मनिर्भरता और वैश्विक प्रतिस्पर्धा में अग्रणी भूमिका। इसके लिए भारत को अपनी अर्थव्यवस्था को तेज़ी से बढ़ाना होगा, और यह तभी संभव है जब प्रमुख क्षेत्र अधिक योगदान दें।
सेवा क्षेत्र: विकास का वर्तमान इंजन
रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान में भारत की जीडीपी में सबसे बड़ा योगदान सेवा क्षेत्र का है—जैसे कि आईटी, वित्त, स्वास्थ्य और शिक्षा। यह क्षेत्र न केवल रोजगार सृजन में अग्रणी है, बल्कि निर्यात और विदेशी मुद्रा अर्जन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। नीति आयोग का मानना है कि सेवा क्षेत्र को और अधिक डिजिटलीकरण, नवाचार और वैश्विक विस्तार की दिशा में बढ़ाना होगा।
उद्योग और निर्माण: आत्मनिर्भर भारत की रीढ़
‘मेक इन इंडिया’ और ‘पीएलआई स्कीम’ जैसे अभियानों के बावजूद, भारत का विनिर्माण क्षेत्र अभी भी अपेक्षित गति से नहीं बढ़ पाया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि भारत को विकसित राष्ट्र बनना है, तो निर्माण क्षेत्र को जीडीपी में कम से कम 25% योगदान देना होगा। इसके लिए निवेश, तकनीकी उन्नयन और श्रम सुधारों की आवश्यकता है।
कृषि क्षेत्र: समावेशी विकास की कुंजी
हालाँकि कृषि का जीडीपी में योगदान घटा है, लेकिन यह अब भी देश की बड़ी आबादी को रोजगार देता है। रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि कृषि को अधिक तकनीकी, टिकाऊ और मूल्यवर्धित बनाकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मज़बूत किया जा सकता है। इससे समावेशी विकास को बल मिलेगा।
निजी निवेश और नवाचार: भविष्य की नींव
रिपोर्ट में यह भी ज़ोर दिया गया है कि निजी क्षेत्र की भागीदारी, स्टार्टअप्स, और नवाचार भारत को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में आगे ले जा सकते हैं। इसके लिए नीति, पूंजी और कौशल विकास में सुधार आवश्यक है।
‘विकसित भारत 2047’ का सपना तभी साकार होगा जब सेवा, उद्योग और कृषि—तीनों क्षेत्र संतुलित रूप से आगे बढ़ें। नीति आयोग की यह रिपोर्ट न केवल एक चेतावनी है, बल्कि एक दिशा-सूचक भी है कि भारत को किस रास्ते पर चलना है। अब समय है कि नीति और क्रियान्वयन में तालमेल बैठाकर भारत को विकास की नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया जाए।