रूस-यूक्रेन युद्ध में हाल ही में महत्वपूर्ण घटनाक्रम देखने को मिला है, जिसने दोनों देशों के बीच जारी संघर्ष को नए मोड़ पर ला खड़ा किया है।
यूक्रेन का कुर्स्क क्षेत्र में प्रवेश
अगस्त 2024 में, यूक्रेनी सेना ने एक साहसी अभियान के तहत रूस के कुर्स्क क्षेत्र में लगभग 1,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर कब्जा जमा लिया था। यह द्वितीय विश्व युद्ध के बाद पहली बार था जब किसी विदेशी सेना ने रूस की भूमि पर इस प्रकार का नियंत्रण स्थापित किया। यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की ने इस अभियान की पुष्टि करते हुए सैनिकों की दृढ़ता की सराहना की थी।
रूस की प्रतिक्रिया और पुनः कब्जा
हालांकि, नवंबर 2024 तक, रूसी सेना ने जवाबी कार्रवाई करते हुए कुर्स्क क्षेत्र के अधिकांश हिस्सों पर पुनः नियंत्रण स्थापित कर लिया। रूसी रक्षा मंत्रालय ने घोषणा की कि उन्होंने मेलोवॉय, पोडोल और सुदजा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों को मुक्त करा लिया है। सुदजा, जो लगभग 5,000 की आबादी वाला एक छोटा शहर है, यूक्रेन के कब्जे में रहे कुछ शहरी क्षेत्रों में से एक था।
पुतिन की अग्रिम पंक्ति की यात्रा
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कुर्स्क क्षेत्र का अचानक दौरा किया, जहां उन्होंने फ्रंटलाइन सैनिकों से मुलाकात की और मॉस्को के लक्ष्य को दोहराया कि कुर्स्क को जल्द से जल्द पूरी तरह से मुक्त किया जाए। यह यात्रा सैनिकों का मनोबल बढ़ाने और रूस की सैन्य प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करने के उद्देश्य से की गई थी।
यूक्रेन की रणनीतिक चुनौतियाँ
कुर्स्क क्षेत्र में यूक्रेनी सेना की पिछली बढ़त अब उलट गई है, जिससे राष्ट्रपति जेलेंस्की की पुतिन पर दबाव बनाने की रणनीति को झटका लगा है। रूसी सेना की इस पुनः प्राप्ति ने यूक्रेन के लिए नई चुनौतियाँ खड़ी कर दी हैं, जिससे संघर्ष के भविष्य पर प्रश्नचिह्न लग गए हैं।
इस घटनाक्रम ने रूस-यूक्रेन युद्ध में नए समीकरण पैदा किए हैं, जिससे क्षेत्रीय स्थिरता और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है।